जो चला गया वो –
जो चला गया इस दुनिया से वापस नहीं आएगा।
यही रीत है इस जग की तू बदल न पाएगा।
माना कि वह तुझको जान से प्यारा था।
उससे घर रोशन था, घर का उजियारा था।
इस घर रूपी मंदिर का मसीहा वह प्यारा था।
मझधार पड़ी नैया का बस वही किनारा था।
साहिल बनकर तुझको नैया को बचाना होगा वर्ना दुनिया के संग तू चल नहीं पाएगा।
चन्द दिन की कहानी है,
जब लोग तेरे दुःख को ये बांटने आएंगे।
धीरे धीरे अपने धंधों में लग जाएंगे।
तेरी किस्मत है अब बस तेरी कहानी है,
खुद कर्मयोगी बनकर तुझको लिखनी होगी किस्मत वर्ना यह जग तुझ पर बस खाक चढ़ाएगा।
रो -रोकर पूछेंगे तेरे जो अपने हैं।
पग -पग पर कुचलेंगे तेरे जो सपने हैं।
जाने वाले की आंखों ने बुने स्वर्णिम सपने हैं।
साहिल से जो रोके वो तूफान भी पथ में हैं।
तूफानों से लड़कर तुझको साहिल तक जा कर लहराना है परचम, वर्ना यह जग तुझ पर बस व्यंग चलाएगा।
हिम्मत से काम लेना , घबराना कैसा
यही चलन है इस जग का,जज्बा रख जीने का।
तू सीख लेे दीपक से खुद जल जग रोशन रख, अंदाज़ क्या जीने का।
रेखा जो अधूरी तस्वीर पड़ी है उसे रंगों से पुनः सजीव बना दे वर्ना यह जग तुझे कपूत की संज्ञा दे निकल जायेगा।