*जो घर-परिवार अपने हैं, न उनसे दूर हो जाना (मुक्तक)*
जो घर-परिवार अपने हैं, न उनसे दूर हो जाना (मुक्तक)
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भले दुनिया में छा जाओ, भले मशहूर हो जाना
मगर मस्तक रहे नत ही, न किंचित क्रूर हो जाना
परायों से हो अपनापन, ये अच्छी बात है लेकिन
जो घर-परिवार अपने हैं, न उनसे दूर हो जाना
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रचयिताः रविप्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451