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17 May 2024 · 1 min read

जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।

गज़ल

221/1222/221/1222
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
अब मुक्ति मिले कैसे गंगा में नहाया है।

पाला है जिसे उसने आश्रम भिजवाया है।
जो दर्द सहा मां ने वो याद न आया है।

कमज़र्फ कहेंगे सब वो भूल गया सबकुछ,
मां बाप रहे भूखे पर उसको पढ़ाया है।

जब शांति की बातें थीं कोई न बढ़ा आगे,
जब जंग हुई सबको दुनियां न लड़ाया है।

बचपन की कहावत है मतलब न समझ पाये,
पड़ने ही लगे ओले सिर जैसे मुढ़ाया है।

नफ़रत से नहीं हासिल जो प्यार से पाएगा,
‘प्रेमी’ है वही जिसने ये पाठ पढ़ाया है।

……….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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