}}}जैहिंद के आठ दोहे{{{
जैहिंद के आठ दोहे
// दिनेश एल० “जैहिंद”
नौ पिल्ले हैं तापते,
पा कर सम्मुख आग !
आपस में वे लड़ रहे,
जस फुँफकारे नाग !!
ठिठुर रहे गौ-भैंस ये,
मर रहे बहुत काग !
कुत्ते भी घबरा उठे,
ताप रहे हैं आग !!
बस में तेरे कुछ नहीं,
सह ठंडी की मार !
दौड़ कहीं से माँग ला,
गर्मी तनिक उधार !!
मैं तो जितना काँपता,
तू भी उतना काँप !
कर उपाय कुछ साथिया,
सर्दी भागे आप !!
लेके आ कुछ काठियाँ,
उनको शीघ्र जलाव !
कुछ आए जी जान में,
सेंक थोड़ा अलाव !!
जोड़ नहीं इस शीत का,
सभी गये अब हार !
दिनकर भी शरमा गए,
कौन करे उद्धार !!
बहती सनसन ये हवा,
मचा रही उत्पात !
दिन ऐसे-वैसे गया,
बीत रही ना रात !!
सूर्यग्रहण जब से लगा,
लगा सूर्य को जोग !
बुलायें किस हकीम को,
कौन भगाये रोग !!
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दिनेश एल० “जैहिंद”
08/01/2020