जे कियौ पीबै छी दारू आ शराब
जे कियौ पीबै छी दारू आ शराब
ओकर जिंदगी भ गेल अछि खराब।
यौ आबियौ त बुझियौ भेलौ खराब,
छोयड़ दियौ अखनो दारू आ शराब।
जखन जाए छी साझ सबेरे दारू भट्टी,
रास्ता मे गिर-पैर के बंधवै छी पट्टी।
यौ भईया अखनो त बुझियौ भेलौ खराब,
बेर्बाद करैया यही दारू आ शराब ।।
घर आइबते मातर दस टा बात परहै छी,
बौह-बेटी के मायर बैठय छी।
अइसे होय अछि अप्पन इज्जत खराब,
नय पिबू अखनो दारू आ शराब।।
जिंदगी त भ गेल बेर्बाद,
आबो सुनियो हमर इ बात।
साझ के रोड पर ड्रामा करै छी,
भुखल प्यासल अहॉ सुतैय छी
छोड़ू दारू आ शराब ,
बैन जाऊ अखनो महान नबाब।।