जेनयू बलात्कार कांड पर कविता
जेनयू में बलात्कार हुआ, हां सही सुना जी बलात्कार हुआ,
पर क्या बलात्कार पर कहीं शोर शराबा या हाहाकार हुआ।
दया शंकर के ब्यान पर दहाड़ने वाले शेर छिप गए हैं कहीं,
इस वोटों की राजनीति के आगे हर कोई आज लाचार हुआ।
रियो ओलंपिक में बेटियों के मेडल लाने पर थे खुश सभी,
अब कहाँ गए वो सारे जब बेटी की इज्जत पर वार हुआ।
नेता जी तुम्हारी बेटियाँ चलती हैं सुरक्षाकर्मियों के घेरे में,
अकेली भेजो बेटी को बाहर, पता चले, कैसा सत्कार हुआ।
उन वकीलों से भी विनती है जो बचाते हैं बलात्कारियों को,
उस बेटी पर क्या बीत रही होगी जिस पर अत्याचार हुआ।
बेच देते हो ज़मीर को चंद वोटों और सिक्कों के लिए तुम,
क्या बीतेगी दिल पर जब तुम्हारी बेटी से व्याभिचार हुआ।
जब एक बेटी की इज्जत ही नहीं बचा पाती है सरकार,
उसका “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” का नारा बेकार हुआ।
उम्मीद है कलमकारों से सोये हुए ज़मीरों को जगा दें वो,
जो बदलाव ना ला सका सुलक्षणा कैसा वो कलमकार हुआ।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत