Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2023 · 1 min read

☄️💤 यादें 💤☄️

☄️💤 यादें 💤☄️
यादें ऐसी हैं मानों रात ने स्वयं को
रोशनी से अलग करने के लिए
अंधेरे के आवरण को ओढ़नी बना ली हो
और अपने को उसकी आड़ में छिपा लिया हो

यादें स्वयं को रखती हैं आवरण में
रात्रि शशि की प्रतिक्षा ओट से झांकती सी
अरुणोदय के दर्शन की प्रतीक्षा में मानों
कर रही थी जन्मों जन्मों से इंतजार
उसकी आगोश में समा जाने को

यादें स्वयं को रखती हैं आवरण में
नींद में प्रेमी को प्रतीक्षा उसी तरह
मानों दृग ने कैद कर लिया हो
उसके हमसफ़र को पलकों के अतल में
और उसको इंतजार हो नव प्रभात का

यादें स्वयं को रखती हैं आवरण में
संसार के छलावे ने मानों कैद किया हो
यादों के साये को अपने भीतर
और विछोह की तड़फन दी हो प्रतिपल
दरस मात्र के पल को बस यूँ ही दर्द देकर
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

1 Like · 256 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
पूर्वार्थ
ये जिन्दगी तुम्हारी
ये जिन्दगी तुम्हारी
VINOD CHAUHAN
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
समय को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए, कुछ समय शोध में और कुछ समय
Ravikesh Jha
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
मैं तुम्हारे बारे में नहीं सोचूँ,
Chaahat
हर पल
हर पल
Davina Amar Thakral
"पवित्र पौधा"
Dr. Kishan tandon kranti
समय की धार !
समय की धार !
सोबन सिंह रावत
हिंदी लेखक
हिंदी लेखक
Shashi Mahajan
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बेटियों को मुस्कुराने दिया करो
बेटियों को मुस्कुराने दिया करो
Shweta Soni
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
लहज़ा रख कर नर्म परिंदे..!!
पंकज परिंदा
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मसान।
मसान।
Manisha Manjari
4799.*पूर्णिका*
4799.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
मेरी हर अध्याय तुमसे ही
Krishna Manshi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
ईमानदारी का इतिहास बनाना है
ईमानदारी का इतिहास बनाना है
Sudhir srivastava
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
परिंदे भी वफ़ा की तलाश में फिरते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
जिस दिन राम हृदय आएंगे
जिस दिन राम हृदय आएंगे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
रिश्ते प्यार के
रिश्ते प्यार के
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
बुंदेली चौकड़िया- पानी
बुंदेली चौकड़िया- पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
..
..
*प्रणय*
Loading...