जुदाई का गम…
उनकी जुदाई का गम बहुत सता रहा था
मुश्किलों का मंजर मेरे करीब आ रहा था
किसी अनहोनी की आशंका से दिल घबरा रहा था
मेरा वजूद अश्कों में बहा जा रहा था
आज चाँद भी कहीं ना नजर आ रहा था
घना अँधेरा हर पहर छा रहा था
उनका कहा हर शब्द हर पल याद आ रहा था
उनकी जुदाई का गम बहुत सता रहा था।
– मानसी पाल ‘मन्सू’