जी करता है…..
फैला कर बाहें,
बिखरे हुए जज्बात को समेट लूं,
जी करता है,
तुम्हें अंग-अंग में लपेट लूं.
बदल दूं फाल्गुनी राग,
नई मल्हार जगा दूं,
दिल की धुन में बहक-बहक,
तार-तार खनका दूं .
इस कदर हो जाऊं तुम पर न्यौछावर,
रग-रग में जंग भर दूं,
खुद रँग जाऊँ रंग तुम्हारे,
रोम-रोम तुमको रँग दूं.
***** हरीश चन्द्र लोहुमी