जी. एस. टी
सरकार को इमानदार बतलाते है
जी एस टी जैसा घुन भी लगवाते है
छोटे उधोग आज हुए है जब चौपट
मजदूरों का हक हर रोज छिनाते है
दो वक्त की न मिलती है रोटी जिसको
उनको जी एस टी जैसे न सताते है
क्या लेना देना गरीब को विकास से
केवल दो जून की रोटी से नाते है
डेविट क्रेडिट ओर आनलाइन सिस्टम
ये सब बातें उसको न समझ आते है