जीवन यात्रा
एक साल की जीवन यात्रा
और हो गई पूरी
कुछ इच्छाएँ पूर्ण हुई
ज्यादातर रही अधूरी
फिर भी दूँ आभार तुम्हें
लगता यह बहुत ज़रूरी
ओ मेरे जीवन के दुःख-सुख,
मिलन-विरह मजबूरी
जो पाया, जो खोया अबतक
सभी तुम्हारे ही कारण
हर कठिनाई तुमसे ही, फिर
तुम ही रहे निवारण
मेरा यह वजूद तुमने ही
सिरजा इसे बनाया
धन्यवाद तुमको, तुमने
मुझको ये संसार दिखाया !
© अभिषेक पाण्डेय अभि