जीवन यात्रा
जीवन यात्रा
क्या तू लेकर आया बंदे क्या लेकर तू जायेगा।
ख़ाली हाथ तू आया था और ख़ाली हाथ ही जायेगा।।
तेरे आने पर इस जग में सौग़ात में जो भी रिश्ते मिलेंगे।
यह तुझ पर ही निर्भर होगा तू कैसे उन्हें निभाएगा।।
तेरे द्वारा किया हर कार्य यहाँ सबकी नज़रों में आयेगा।
कोई अच्छा उन्हें बतलायेगा कोई बुरा उन्हें बतलायेगा।।
अपने किये कार्यों के दमपर ही तू यश और अपयश पायेगा।
अपने द्वारा किये कार्यों से तू अपना व्यक्तित्व बनायेगा।।
तेरा यह व्यक्तित्व ही समाज में पहचान तेरी बन जायेगा।
पहचान तेरी अपनी होगी बाक़ी तो सब इस जग का ही कहलायेगा।।
लेकर अपनी पहचान को तू इस मिट्टी में मिल जायेगा।
तू ख़ाली हाथ ही आया था तू ख़ाली हाथ ही जायेगा।।
कहे विजय बिजनौरी बन्दे का कर्म हमेशा उसके आयेगा।
जो जैसा कर्म निभाएगा जीवन में वैसा ही फल वह पायेगा।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।