जीवन मुक्त जियो जीवन, करना चलने की तैयारी है
आना जाना नियम सृष्टि का, यह क्रम निरंतर जारी है
पता नहीं कब आ जाए, दुनिया से जाने की बारी है
सुख-दुख लगे हुए जीवन में, क्रम इनका भी बहुत जरूरी है
आशा और निराशा के बिन, जीवन यात्रा अधूरी है
क्या तेरा और क्या मेरा, सब तो उस रब की माया है
मरती नहीं अमर आत्मा, मरती माटी की काया है
पल पल का आनंद लूट, ध्येय समझ मानस तन का
कर्मों का यह खेल सारा, बोझ हटा अपने मन का
नहीं तनाव में जीना जग में, यह बहुत बड़ी बीमारी है
जीवनमुक्त जियो जीवन, करना चलने की तैयारी है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी