जीवन मर्म
नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो
नीर को तीर पर आते हुए
फिर स्वयं से कुछ सवाल करो
कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो
जैसे आती लहर तीर से वापस होती है
ठीक वैसे ही जीवन की परीक्षा होती है
एक नहीं अनगिनत बार हुआ
लहरों ने तीर को छुआ
पर तीर स्थिर रहा
डटा रहा वैसे ही तुम भी
तीर बनो
थोडे धीर थोड़े गम्भीर बनो
बाधाए आएगी जाएगी
सौ सौ बार तुम्हें छलाएगी
पर तुम डटे रहना अटे रहना