कविता : जीवन पथ पर
जीवन पथ पर चलते-चलते, लाख मुसीबत आती हैं।
रहे हौंसला साहस मन में, छूने से शरमाती हैं।।
बंदर घुड़की से डरना क्या? सीना तान चलो प्यारे।
छू लोगे तुम गगन एक दिन, लाओगे तोड़ सितारे।।
चट्टानों को तोड़ सके जल, वह झरना बन जाएगा।
एक मिसाल नयी नव अपनी, छोड़ जहां में जाएगा।।
तूफ़ानों से लड़नेवाले, तरु फल छाया देते हैं।
ठूँठ अकड़कर टूट गिरें हैं, पहचान मिटा लेते हैं।।
मायूस कभी होकर जग में, लक्ष्य नहीं मिल पाएगा।
हँसते गाते झूम चलोगे, सब हासिल हो जाएगा।।
भाग्य भरोसे बैठो मत तुम, कर्म भाग्य महकाता है।
जीवन पथ पर चलनेवाला, राही मंज़िल पाता है।।
नदियाँ नयी राह बनाकर, सागर में मिल जाती हैं।
कलियाँ खिलकर फूल बनें जब, गुलशन को महकाती हैं।।
एक-एक तिनका चुग चिड़िया, निज घोंसला बनाती है।
करने से सब हो जाता है, रीत यही सिखलाती है।।
भाग-2 : सुंदर ये संसार बड़ा है
पर्वत सागर चाँद-सितारे, सूरज नदियाँ पवन घटाएँ।
ताल तलैया झरने पोखर, तरुवर गुलशन और फ़िजाएँ।।
अद्भुत नूतन सभी नज़ारे, नूर खज़ाना भरा पड़ा है।
दसों-दिशाएँ घूम देखिए, सुंदर ये संसार बड़ा है।।
कहीं चहकते पक्षी देखो, कहीं महकते फूल खिले हैं।
कहीं जानवर पशु अलबेले, मेघ बनाकर झुंड चले हैं।।
नीलझील में हंस तैरते, सुंदर शतुरमुर्ग खड़ा है।
दृष्टि प्रेम की भरकर देखो, सुंदर ये संसार बड़ा है।।
मानव तू अलसाया क्यों है? श्रेष्ठ विधाता की रचना तू।
बुद्धि नीति बल संस्कार लिए, फुरसत की एक कल्पना तू।।
प्रेम दया त्याग रत्न तुझमें, क्यों फिर नफ़रत लिए खड़ा है?
सकारात्मक सोच उर्जा भर, सुंदर ये संसार बड़ा है।।
गीत ग़ज़ल कविता तुझमें ही, भावों की सरिता तुझमें ही।
भूमि गगन वायु अग्नि तुझमें, नीर समाया है तुझमें ही।।
सुप्त शक्तियाँ सभी जगाओ, मानव तुझमें अमृत-घड़ा है।
जागो! देखो और दिखाओ, सुंदर ये संसार बड़ा है।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना