Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jun 2021 · 1 min read

जीवन तेरे कितने रूप

जीवन तेरे कितने रूप
कहीँ पर छाँव कहीँ पर धूप
कभी ममता का मधुरिम पुंज
कभी निर्जन वन का स्तूप।

कभी कड़वाहट का अहसास
कभी गुड़ की ढेली का भास
कभी काँटों की चुभन सा दर्द
कभी बर्फीली रातें सर्द
तुम्हारे अगनित रूप अनूप
कहीँ पर छाँव कहीँ पर धूप

कभी तुम शत्रु कभी तुम मित्र
कभी साधारण कभी विचित्र
कभी चंदन और रोली हो
कभी तुम विष की गोली हो
तुम्हारा देखा अजब स्वरूप
कहीं पर छाँव कहीँ पर धूप

कभी मदमस्त स्वरूपा तुम
कभी क्रन्दन विद्रूपा तुम
तुम्ही से मोह तुम्ही से कोह
तुम्हारी पाया कोई न टोह
कहीं सुन्दर तो कहीं अघरूप
कहीँ पर छाँव कहीँ पर धूप

कभी तुम लगती गंगाजल
कभी सागर सा मन निर्मल
कभी तुम सबको प्यारी हो
कभी तुम सब पर भारी हो
कभी कंगाल कभी तुम भूप
कहीं पर छाँव कहीँ पर धूप

तुम्ही हो आदि तुम्ही हो अंत
तुम्ही से देता बौर बसंत
प्रकृति को दे दो अब संदेश
मिटा दो सबके मन से क्लेश
दिखा दो अपना अनुपम रूप
कहीँ पर छाँव कहीँ पर धूप

जीवन तेरे कितने रूप
कहीं पर छाँव कहीँ पर धूप
कभी ममता का मधुरिम पुंज
कभी निर्जन वन का स्तूप
जीवन तेरे कितने रूप
जीवन तेरे कितने रूप

Language: Hindi
259 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
shabina. Naaz
2902.*पूर्णिका*
2902.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भूल जा वह जो कल किया
भूल जा वह जो कल किया
gurudeenverma198
कातिल
कातिल
Gurdeep Saggu
बढ़ती हुई समझ,
बढ़ती हुई समझ,
Shubham Pandey (S P)
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
जब नयनों में उत्थान के प्रकाश की छटा साफ दर्शनीय हो, तो व्यर
Sukoon
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
मेरी नज़रों में इंतिख़ाब है तू।
Neelam Sharma
मै भी सुना सकता हूँ
मै भी सुना सकता हूँ
Anil chobisa
कारोबार
कारोबार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
Dushyant Kumar Patel
बुंदेलखंड के आधुनिक कवि पुस्तक कलेक्टर महोदय को भेंट की
बुंदेलखंड के आधुनिक कवि पुस्तक कलेक्टर महोदय को भेंट की
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जलियांवाला बाग,
जलियांवाला बाग,
अनूप अम्बर
चतुर लोमड़ी
चतुर लोमड़ी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिलों का हाल तु खूब समझता है
दिलों का हाल तु खूब समझता है
नूरफातिमा खातून नूरी
“परिंदे की अभिलाषा”
“परिंदे की अभिलाषा”
DrLakshman Jha Parimal
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
Shweta Soni
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
पूर्वार्थ
■ जय ब्रह्मांड 😊😊😊
■ जय ब्रह्मांड 😊😊😊
*Author प्रणय प्रभात*
दोहावली...(११)
दोहावली...(११)
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक लम्हा भी
एक लम्हा भी
Dr fauzia Naseem shad
कैसा विकास और किसका विकास !
कैसा विकास और किसका विकास !
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
** जिंदगी  मे नहीं शिकायत है **
** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
जो लिखा नहीं.....लिखने की कोशिश में हूँ...
Vishal babu (vishu)
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
मेहनत के दिन हमको , बड़े याद आते हैं !
Kuldeep mishra (KD)
मन की किताब
मन की किताब
Neeraj Agarwal
*जाऍंगे प्रभु राम के, दर्शन करने धाम (कुंडलिया)*
*जाऍंगे प्रभु राम के, दर्शन करने धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...