जीवन के कुरुक्षेत्र में
उठ खड़ा होकर निडर
लक्ष्य पर सर संधान कर
जिंदगी कुरुक्षेत्र है
युद्ध का आह्वान कर
त्याग तम अज्ञान आलस
न किसी से मोह कर
पथ में जो आए रुकावट
संघर्ष से सब पारकर
कर्म ही तो धर्म है
बातें नहीं बेकार कर
विजय कर कठिनाइयों को
लक्ष्य पर रखकर नजर
अडिग आत्मविश्वास रख
मन को फिर एकाग्र कर
धैर्य इच्छाशक्ति साहस
बुद्धि और विवेक कर
जीत फिर या हार हो
निष्काम हो बस कर्म कर
अनवरत चल नेक पथ पर
फल की भी इच्छा रहित
एक दिन यह कर्म तेरे
सार्थक हो जाएंगे
जीवन के कुरुक्षेत्र में
विजय श्री दिलवाएंगे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी