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11 Jun 2023 · 1 min read

जीवन का सुख सारा बचपन

जीवन का सुख सारा बचपन
प्यारा-न्यारा-दुलारा बचपन
नहीं थी चिंता कोई फिकर-गम
अल्हड़पन में डूबा निडर मन
मां की ममता पिता का डर
जिद्दी बन हठ करता मगर
दादी मां की कहानी सुनकर
दौड़ते गलियों में सब दिनभर
खो-खो कबड्डी छुपम छुपाई
छपछप कर बारिश की नहाई
दिन वो सुनहरे भूल न पाई
पल छिन वैसा कभी न आई
मन मचलता बचपन जैसा
वक्त नहीं है पुराने जैसा
हंसी ठिठोली करते रहते
हर दिन उत्सव जैसे होते
काश वो क्षण होता बचपन का
दर्द न होता पीड़ा गम का.
भारती दास ✍️

Language: Hindi
2 Likes · 295 Views
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