जीवन का सार
जीवन का सार
बच्चे बड़े होकर भूले न परिवार को l
व्यर्थ समय है लड़ना ,
उसपर न विचार हो l
जीवन वही सुहाता है ,
जिसमे “मैं”नहीं बल्कि “हम” परिवार हो l
मन में खोट न हो ऐसी ,
जिससे विवाद हो जाए l
गलतफैमी के दलदल में ,
जीना दुशवार हो जाए l
मित्रों बात तो यही है ,
अपनों का साथ काफी हो जीने को
दूसरो की देख – रेख में
कही जीवन बर्बाद न हो जाए l