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25 Jul 2019 · 1 min read

जीवन का सफर

जीवन का सफर

जीवन के सफर में
अनेकों बार आई
खुशियों की रेलगाड़ी
कभी समय पर तो
कभी निर्धारित
समय से, विलंब से
चलो देर आई
दुरुस्त आई
आई तो

हमारी चाहत है इसे
सरपट दौड़ते देखने की
लेकिन यह ठहर जाती है
हर स्टेशन पर
निर्धारित समय से
अधिक समय तक

अनेक बार
टिकट जांचते टी.टी.ई. की
अशोभनीय टिप्पणियाँ
डाल देती हैं
रंग में भंग

कभी सहृदय यात्री
लगा देते हैं चार चांद
सफर में

कभी खड़ूस सहयात्री
कर देते हैं दूभर
जीवन का सफर

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
387 Views
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