जीवन का सफर
जीवन का सफर
जीवन के सफर में
अनेकों बार आई
खुशियों की रेलगाड़ी
कभी समय पर तो
कभी निर्धारित
समय से, विलंब से
चलो देर आई
दुरुस्त आई
आई तो
हमारी चाहत है इसे
सरपट दौड़ते देखने की
लेकिन यह ठहर जाती है
हर स्टेशन पर
निर्धारित समय से
अधिक समय तक
अनेक बार
टिकट जांचते टी.टी.ई. की
अशोभनीय टिप्पणियाँ
डाल देती हैं
रंग में भंग
कभी सहृदय यात्री
लगा देते हैं चार चांद
सफर में
कभी खड़ूस सहयात्री
कर देते हैं दूभर
जीवन का सफर
-विनोद सिल्ला©