जीवन का शाश्वत सत्य
खाली हाथ आया था तू बंदे, खाली ही हाथ चले जाना है। चार दिनों का प्यार जताकर, इस जग को अलविदा कह जाना है छोड़कर अपनी यादें सारी बनाकर सबको अपना दीवाना, एक अलग देस ही जाना है।
होगा खुद वह भी तेरे प्यार का भूखा, शायद इसलिए उसने तुझे बुलाना है।
इस कृत्रिम रूपी काया को छोड़, सबको वहीं पर जाना है। सनातन ही है शाश्वत सत्य, जो हर शरीर का ठिकाना है। छोड़कर अपनी सारी यादें एक दिन सभी को जाना है।