$दोहे- हरियाली पर
#दोहे- हरियाली पर
हरी-भरी देखो धरा, हरे बनें अरमान।
हरियाली के नूर से, भरें सदा खलिहान।।
नैनों को आनंद दे, करे इन्हें बलवान।
हरियाली जादू लगे, हरे करो मैदान।।
हरित-क्रांति संदेश को, समझे हर इंसान।
खुशहाली भरते यहां, सुरभि लिए उद्यान।।
हरियाली ने भर दिया, नैनों में अभिराम।
स्वर्ग दिखाई दे धरा, हसीं सुबह हर शाम।।
प्रीतम पुलकित मन करे, फूलों की दास्तान।
फूलों जैसे उर खिलें, गूंजें जग में गान।।
प्रीतम हरियाली लिखे, ख़ुशियों का संदेश।
जहां रहे यह शान से, महके वही परिवेश।।
प्रीतम हर्षित उर करे, हरियाली का छोर।
हर्षित उर तो भूप हम, क्यों न चलें इस ओर।।
#आर.एस.”प्रीतम”
सर्वाधिकार सुरक्षित दोहे