जीवन का गणित
शून्य हो गया हूँ अब मैं
शून्य हो गये है ख़्याल
मेरे ख़्यालों में तुम अब
आशा को जोड़ करके
कर दो खुशियों का योग,
और घटा दो निराशा,
नकारत्मकता ,न उम्मीदों को
एवं कर दो गुणा जीवन में
प्रेम,उपकार,दया,सेवा का
और प्राप्त कर लो सफलता
फिर जब कभी यूँ शून्य होना
तो देना तुम भाग प्रार्थना का
तुम्हे सदैव शेष मिलेगा प्रेम
जिसमे सब है आपके पास
माँ-बाप,भाई-बहन,बीवी-
संतान और ये अमूल्य जीवन
निराशा और परेशानी से उठो
सत्कर्म,सद्गुण मानव प्रेम के
दिए जो बीज ईश्वर ने आत्मा में
उसे इस संसार रूपी गणित में
सभी प्रमेयों को हल करने में करो।