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2 Aug 2021 · 1 min read

जीवन का आधार लेखनी…

जीवन का आधार लेखनी।
अपना तो संसार लेखनी

दे भावों को रूप-आकार,
कर दे मन साकार लेखनी।

विभा से जगमग शब्दों की,
हर ले हर अंधकार लेखनी।

फँसे जो जग में बीच भँवर,
बने उनकी पतवार लेखनी।

जाकर सीधे मर्म को बेधे,
ऐसी तीखी धार लेखनी।

बंजर में भी फूल खिला दे,
रच दे नवल संसार लेखनी।

नैराश्य-गर्त में डूबे मन में,
करे जोश- संचार लेखनी।

सत्ता की उंगली पर नाचे,
न हो ऐसी लाचार लेखनी।

रहे न सिमटकर ‘सीमा’ में,
मन को दे विस्तार लेखनी।

-© सीमा अग्रवाल
” चाहत चकोर की” से

Language: Hindi
3 Likes · 705 Views
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