जीवन का अनुभव
जीवन का अनुभव
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मेरे लिए जीवन का अनुभव बहुत अच्छा नहीं कहा जाएगा क्योंकि अब तक का जो अनुभव रहा उसने यही सिखाया है की आंख बंद कर कर बंद कर कर किसी के ऊपर विश्वास ना किया जाए भले ही वह आपका कितना करीबी हो, कितना भी विश्वसनीय हो। जीवन आपका है और आपको अपने भरोसे इस जीवन का निर्वाह करना होता है। मेरा अनुभव यह बताता है कि आदमी को खुद पर विश्वास और भरोसा होना चाहिए तभी जीवन सार्थक और सफल हो सकता है। हां हम सामाजिक बने व्यवहारिक बने और यथासंभव लोगों की मदद के लिए सतत तत्पर रहें किसी की मदद आप इस लालच में ना करें कि अगला आप की भी मदद करेगा ।आप निस्वार्थ भाव से जितना संभव है उतना लोगों की मदद करें और बाकी सब ईश्वर के ऊपर छोड़ दें।कहा भी गया है कि ईश्वर उन्हीं की मदद करता की मदद करता उन्हीं की मदद करता की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करता है क्योंकि मेरा जीवन काफी उथल-पुथल रहा और जीवन के प्रति मेरा अनुभव बहुत अच्छा नहीं लगा फिर भी मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है मुझे खुद पर भरोसा है और विश्वास भी ।
मेरा अपना मानना है कि नियति से अलग हटकर हम अपने कर्म को भी प्राथमिकता दें ,सब कुछ नियति और और नियति और और भगवान के भरोसे ही ना छोड़ दें यह ठीक है कि कहीं ना कहीं भाग्य का अपना प्रभाव होता होगा,लेकिन भाग्य को किसी ने देखा नहीं कर्म हम देख रहे हैं और जो भी हम कर रहे हैं उसके परिणाम का अनुभव भी हमें होता रहता है।इसलिए अपना कर्म करते रहेंं ,फिर हम चाहे तो भगवान,विश्वास ,भाग्य पर भरोसा करते रहें ।एक कहावत है कि वक्त से पहले और भाग्य से ज्यादा कुछ नहीं मिलता ।
फिर भी जीवन का मेरे अनुसार मूल मंत्र है कि हम अपने कर्तव्य का सम्यक निर्वहन करते रहें रहें और ईश्वर में आस्था भी बनाए रखें ।
◆ सुधीर श्रीवास्तव