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22 Feb 2024 · 1 min read

जीने को बस यादें हैं।

तुममें हममें कुछ तो मुख्तालिफ बातें हैं।
फासले दरम्यां हुए जीने को बस यादें हैं।।1।।

तुम क्या गए जिन्दगी से वीरानें आ गए।
परेशांन बहुत करती अब तन्हा ये रातें हैं।।2।।

अब हम कहीं पे चैनो सुकूं पाते नही हैं।
अपना रंग छोड़ती मेरे घर की दीवारें हैं।।3।।

चारों तरफ ही सब बागबां बागबां सा हैं।
ये गुलशन कैसे महके सूखे फूल सारें हैं।।4।।

यूं मत करों मैला मासूम ज़हनो को तुम।
बस्तियां जलाने को काफ़ी यह अंगारें हैं।।5।।

आज तुम हंसलो मुझपे वक्त है तुम्हारा।
गर्दिशों में किस्मत के मेरे सब सितारें हैं।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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