जीने का हुनर
जीने का हुनर सीख लीजिये
आनंद दीजिये आनंद लीजिये
अच्छे की इज्जत कीजिये बेशक आधी
बुरे को सम्मान दुगुना दीजिये
अच्छे को प्रोत्साहन दीजिये कर्म से
बुरे को मारिये दुगुने सम्मान की शर्म से
ये है एक अलग ही धारा बन्धु
इस पर एक कदम चलकर तो देखिये
जो बुरा है उसके है एहसान कुछ इस कदर
हम है उससे बिलकुल बेखबर
बुरे के कारनामों से बेशक हम चिढ़ जाते हैं
परन्तु अच्छे उन्ही की बदौलत सम्मान पाते हैं
रावण यदि सीता जी का हरण न कर पाते
राम जी इतनी लीलाओं का चरण न कर पाते
कैकयी के हाथ आई बदनामी है ।
राम को मिला सम्मान उससे , ये तो गुमनामी है ।
आपको प्रेरणा नहीं दे रहा बुरा बनने की ।
बस कह रहा हूँ बुरे के अभिनय को समझने की
बुरे लोगों न नफरत से देखिये
बल्कि उन्हें खूब सम्मान दीजिये
अच्छा तो अपनी अच्छाई से तर जायेगा
पर बुरा शायद आपके सम्मान से बदल इस कदर जायेगा
निचोड़ पंक्तियों का यही है
अच्छे को चाहिए प्रोत्साहन और प्यार
बुरे को चाहिए दुगुने सम्मान का दुलार
कई बुजुर्गों ने ये विधि अपनायी है
आवाज पहुंचाने को उनकी ही तो मैंने कलम चलायी है।
न मजा आये पंक्तियों में , सुनते ही भुला देना
अगर पार जाये दिल के सीधे , आगे भी सन्देश पहुंचा देना