जीना भूल गए है हम
जीना भूल गए है हम
तुम्हारी रुखसती के बाद
खामोश हो गये है हम,
एक वाक्य में कहे अगर
जीना भूल गये है हम।
वो घंटों की मुलाकात
थी लम्हों में बीत जाती ,
जीभर के देख नहीं पाता
विदाई की बेला आ जाती।
आँखों से आँखे मिली हुई
बनी गवाह ख़ामोशी थी ,
दिल की बातें साँझा हुई
दरकार जुबाँ की पड़ी नहीं।
कुछ भूले कुछ याद रहे
सुन्दर वो मनमोहक पल,
मृगतृष्णा सम निरख रहा
बिता हुआ वो प्यारा कल।
आसान नहीं बेशक हे प्रिये
होना मधुरिम यादो से दूर,
हर कोना उस बगिया का
पता नहीं क्यों लगता क्रूर।
लम्बे अंतराल के बाद
आज लग रहा है निर्मेष,
आओ बैठे बात करे कुछ
रही वेदना जो बची शेष।
निर्मेष,