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29 Dec 2023 · 1 min read

जीत से बातचीत

फिर कराया सामना
नए पल ने जीत का
किसी तरह गुजरा नही
रह गया ठहरा हुआ

आंखो मे आंखे डाले
बात वो करने लगी
अब तक पाई खुशी
और अधिक खिलने लगी

पर लगी वो सिखाने
यह शौर्य नही बस तेरा
जिनको तूने है पछाड़ा
प्रयास उनका कम जरा

क्यों करे है कम जरा
मेहनत को मेरे बता
गर्व है मुझे खुद पर
मैने जो पाया किया

जो तू लगे उड़ने
इस विजय की शान में
गिर सकता है तू
एक दिन धड़ाम से

फलो से लदे पेड़ सा
तू झुकना सीख ले
प्राप्त तेरा वो ही है बस
जो परहित को संवार दे

मै ना कभी दासी बनी
कभी किसी एक की
ना कभी मेरी बहन
हार, एक जगह टिकी

जीत की खुशी के साथ
सीख भी गजब मिली
हर गुजरते पल की
अपनी अलग खूबसूरती

संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर

Language: Hindi
4 Likes · 229 Views
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