जींदगी की व्यथा
आये हम बुरायी के ज़माने से
तो क्या हर्ज है पाप कमाने से
आये……
जींदगी लेती रही इम्तिहान
इसी में है सब परेशान
क्या कोई सपना देखे महान का
गिर गई है कीमत ज़बान का
धुले नहीं है पाप गंगा में नहाने से
आये …..…
तो क्या…….
आये हम बुरायी के ज़माने से
तो क्या हर्ज है पाप कमाने से
आये……
जींदगी लेती रही इम्तिहान
इसी में है सब परेशान
क्या कोई सपना देखे महान का
गिर गई है कीमत ज़बान का
धुले नहीं है पाप गंगा में नहाने से
आये …..…
तो क्या…….