Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 2 min read

जिस दिन से बिटिया रानी – डी के निवातिया

जिस दिन से बिटिया रानी,
मेरे आँगन छोड़कर चली गयी,
मिलन को तरस रहे है नैना,
क्यों बाबुल की गली भूल गयी !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

सूना हुआ हर एक कौना
घर में न अब चहल-पहल नजर आती है
तेरे बंचपन कि अठखेलिया,
अब रह-रह कर मेरे मन को सताती है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

पूछती है ये दीवारे और अलमारी,
धूमिल हुई तेरी किताबे सवाल उठाती है !!
चुनर लटकी आज भी एक कोने में,
बस तेरे आँचल पे सवरने को ललचाती है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

रसोई में रहता है सूनापन,
खोली में भी खामोशी छायी रहती है
वो चिड़िया भी नित आती आँगन
चूँ चूँ कर बस तेरे नाम को रट्याती है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

बात करता हूँ तस्वीरो से
मगर आवाज न उनसे तेरी आती है !
धुंधला पड़ा आईना कोने में,
जब देखूं तेरी परछाई नजर आती है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

छुटकी भी अब हुई सयानी,
जो बात बात पर तुझे सताती थी,
बड़ी बड़ी अब करती बाते,
जिसकी हँसी से कुटिया गुंजयाती थी
लगती है अब बड़ी अबोध
जाने क्यों वो भी गुमसुम सी रहती है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!

तख़्त पे बैठी बूढी मैया,
हर आहट पे तेरा नाम पुकारती है
कैसे समझाऊ अब उसको,
बिटिया अब नही तेरी, वो तो हुई पराई है !!

निर्झर बरसते है मेरे नैना, जैसे सागर से जल धारा बहती है,
घुमड़-घुमड़ उमड़े मन बदरा, जब याद बीते पलो कि आती है !!
!
*****
डी के निवातिया

1 Like · 130 Views
Books from डी. के. निवातिया
View all

You may also like these posts

सत्य की खोज:स्वयं का सत्य।
सत्य की खोज:स्वयं का सत्य।
Priya princess panwar
क्या
क्या
Dr. Kishan tandon kranti
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दिल की दुनिया सबसे अलग है
दिल की दुनिया सबसे अलग है
gurudeenverma198
मौसम का गीत
मौसम का गीत
Laxmi Narayan Gupta
🌹जिन्दगी🌹
🌹जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Meera Singh
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
About your heart
About your heart
Bidyadhar Mantry
मारगियां  हैं  तंग, चालो  भायां  चेत ने।
मारगियां हैं तंग, चालो भायां चेत ने।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
सौदा हुआ था उसके होठों पर मुस्कुराहट बनी रहे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
3773.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
#गम ही मेरा साया
#गम ही मेरा साया
Radheshyam Khatik
थोड़ा अदब भी जरूरी है
थोड़ा अदब भी जरूरी है
Shashank Mishra
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
दीप बनकर तुम सदा जलते रहो फिर नहीं होगा तिमिर का भान भी
Dr Archana Gupta
* जब लक्ष्य पर *
* जब लक्ष्य पर *
surenderpal vaidya
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
वक्त के साथ-साथ चलना मुनासिफ है क्या
डॉ. दीपक बवेजा
अपना पन तो सब दिखाते है
अपना पन तो सब दिखाते है
Ranjeet kumar patre
कैसे मंजर दिखा गया,
कैसे मंजर दिखा गया,
sushil sarna
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
जीवन
जीवन
Santosh Shrivastava
यथार्थ
यथार्थ
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कविता की आलोचना में कविता
कविता की आलोचना में कविता
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*तलाश*
*तलाश*
Vandna Thakur
मनभावन बसंत
मनभावन बसंत
Pushpa Tiwari
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
Rj Anand Prajapati
#शेर-
#शेर-
*प्रणय*
Loading...