जिस डाली पर बैठो हो,काट न बंधु डाल रे
जिस डाली पर बैठो हो, काट न बंधु डाल रे
टूट रही सांसों की डोरी, पर्यावरण हुआ बेहाल रे
जल जंगल जमीन बचाओ, धरती का रखो ख्याल रे
काट दिए जंगल दुनिया में, नदियों में जहर वहाया
हवा प्रदूषित हुई धरा पर, जीवो का हुआ सफाया
डूब रही है जीवन नैया, उठ कर इसे संभाल रे
तापमान बढ़ रहा दिनोंदिन, ओजोन परत में छेद हुआ
पिघल रहे हैं ग्लेशियर सारे, घुलने को मजबूर हुआ
पानी नहीं बचेगा जग में, दुनिया होगी बेहाल रे
मौसम बदल रहा दुनिया में, प्रकृति पर संकट आया
बेहतासा दोहन से हमने, संकट और बढ़ाया
जिस डाली पर बैठी दुनिया, काट ना बंधु डाल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी