जियो तुम #जिंदगी अपनी
जियो तुम #जिंदगी अपनी
#जीवन भरी #आशाओं में,
ना करो #कैद तुम
अपने #पंखों को
यूं अपनी उम्र की #सीमाओं में,
चलते रहो बिना रुके
अपनी
#सांसों में लिए #विश्वास तुम,
उम्र है बस एक #छलावा
भूल जाओ इसको बस अब #तुम,
खोल लो वो दिल की #तिजोरियां
जिसमे छुपाई थी तुमने
#उम्मीदें कई,
खो दिए थे कई #ख्वाब तुमने
दबाकर अपने ही #दामन
में कभी,
कर ली #जिम्मेदारियां
भी तुमने पूरी अपनी
अब सभी,
अब उड़ो #उन्मुक्त #आकाश में
फैला के अपने #पंख अभी,
ले उड़ो ना उस हर ख्वाब को
अपने
जो देखा था तुमने
भी कभी,
छोड़ दो अब यूं #मन को
मारना अपने
तुम भी अब अपने नए
#सपने बुनो सभी,
ले लो #उड़ान तुम अब एक नई
#ऊंचाई की,
आना है जब मौत को तो वो
आएगी ही एक दिन
तुम क्यों खुद #इंतजार में
उसके
जिंदगी अपनी बर्बाद करो,
जाओ
उड़ जाओ #स्वछंद आकाश में तुम
जाकर अपनी #मंजिल को छुओ,
फिर कोई #हसीन #सपना देखो
तुम
कुछ यूं जिन्दगी अपनी #जियो
तुम……..