जिन्दगी
जिन्दगी एक रेलगाड़ी है
जो बनी आज मालगाड़ी है
कोन जाने कहाँ रूके जाये
साथ सबके ये बेइमानी है
एक पल को न जी सकेगा तू
दिल मुहब्बत का राजधानी है
नापता है जमीं से नभ मानव
सिर के ऊँपर येआसमानी है
जिन्दगी में खुशी मिले तुझको
ताजगी मय वो जिन्दगानी है
मर मिटे आज सैकड़ों जिस पर
वो तिरंगा तो जाफरानी है