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15 May 2019 · 1 min read

जिन्दगी में मुखौटे

दिनांक 15/5/19

छंद मुक्त कविता

ईश्वर
ने बनाया
सादा जीवन
इन्सान ने
मुखौटा
पहन लिया
थाम लिया
झूठ भरेव और
मक्कारी का

हर जगह
दिख रहे मुखौटे
घर, परिवार
या हो
देश समाज

रहो
असली चेहरे में
मुखौटों
का न
धर्म ईमान
मिलजुल कर
रहे सब
प्रेम भाव
बनाए रखें
मुखौटे है
एक धोखा
बच कर
इनसे रहे

स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
213 Views
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