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10 Oct 2020 · 1 min read

जिन्दगी नाम नहीं मर के जिए जाने का

जिन्दगी नाम नहीं मर के जिए जाने का
रहनुमा काम यही करते हैं समझाने का

राह जैसी भी मिले फ़िक्र नहीं करते हम
हमको आता है हुनर गिर के संभल जाने का

हौसला रखना सदा दिल में कि आगे मंज़िल
है अकेला भी अगर काम न घबराने का

हुस्ने-यक़्ता है ग़ज़ब और ग़ज़ब रानाई
है बहाना भी तेरे पास तो इतराने का

कल भी दुनिया को नहीं फ़िक्र थी दीवाने की
कोई किस्सा न सुने आज भी दीवाने का

तुमने लिक्खी है अगर कोई कहानी मेरी
नाम अच्छा सा ही रखना मेरे अफ़साने का

कोई बेघर है यहाँ कोई ग़रीबी में जिये
फिर भी सरकार करे काम ये बहलाने का

झूट की कर के कमाई जो यहाँ रहते हैं
इक हुनर उनमें है इन्सान को भरमाने का

साथ लाना है उसे आज इसी महफ़िल में
बिन तेरे आज तो ‘आनन्द’ नहीं आने का

– डॉ आनन्द किशोर

4 Likes · 171 Views
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