जिनकी खातिर ठगा और को,
जिनकी खातिर ठगा और को,
जीवन अपना दुश्वार किया।
पूछो उनसे अंत सफर में,
दो डग भी साथ चलेंगे क्या ?
जिनकी खातिर सब सुख भूले,
काँटों की सेज चुनी तुमने।
चक्षु गीले देख तुम्हारे,
उनके भी अश्क ढलेंगे क्या ?
© सीमा अग्रवाल
जिनकी खातिर ठगा और को,
जीवन अपना दुश्वार किया।
पूछो उनसे अंत सफर में,
दो डग भी साथ चलेंगे क्या ?
जिनकी खातिर सब सुख भूले,
काँटों की सेज चुनी तुमने।
चक्षु गीले देख तुम्हारे,
उनके भी अश्क ढलेंगे क्या ?
© सीमा अग्रवाल