जिद बापू की
नमन बापू !
नमन बापू !
आज हुआ था आपका
गमन बापू !
अपने जो दिया
हम हैं मगन बापू।
इतनी जल्दी भी क्या थी
तुम्हें जाने की जिद
और तुम चले गए ।
अगस्त से जनवरी ही आया था
और तुम चल दिए
स्वतंत्रता/ स्वतंत्रता/ सुराज/ स्वराज देकर भी
संविधान नहीं दे पाए
अपने सपनों का भारत न तो बना पाए
और न तो देख ही पाए
कितना मुश्किल है सत्य – पथ पर चलना
फिर भी तुम चले
कितना मुश्किल है अहिंसा के पथ पर चलना
फिर भी तुम चले
कितना मुश्किल है न्याय के पथ पर चलना
फिर भी तुम चले
अफ्रीका वासियों को इंसाफ दिलाया
चंपारण के नील्हों इंसाफ दिलाया ।
अंग्रेजों को भगाने की जिद थी
तुमने उसे भगा दिया ।
आजादी पाने की जिद थी
तुमने उसे पा लिया ।
पाक को रुपए देने की जिद थी
तुमने भारत से दिला दिया
तुम्हें जाने की जिद थी
और तुम रुके नहीं ।
आज का भारत वहीं पर नहीं है
जहां छोड़ गए थे ।
संविधान ने हमे भारत का नागरिक बना दिया है ।
आजादी का अमृत वर्ष मना लिया है
शताब्दी वर्ष का भी आगाज हो गया है ।
यदि पुनर्जन्म में विश्वास है
तो लौट आओ बापू !
देखो न
तुम्हारा भारत अब
सबके मन को भाता है
अधिकांश देश भारत की ओर देखते हैं ।
नमन है बापू !
नमन है बापू !
आपने जो हमे दिया
हम है मगन बापू !
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@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर