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15 Jun 2024 · 1 min read

जितनी बार भी तुम मिली थी ज़िंदगी,

जितनी बार भी तुम मिली थी ज़िंदगी,
हर बार यूं मिलकर बिछड़ती रही हो

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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