Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2021 · 1 min read

जिजीविषा

अब हर पल लगने लगा है
न जाने क्यों कि कुछ पीछे छूट सा गया हैं
क्या छूटा समझ से परे ही लगता हैं
एक रिक्तता सी लगने लगी हैं मुझे
न जाने क्यों कुछ अपूर्ण सा हैं
सोचती हूं क्या कुछ छूटा क्या कुछ मिला
समय निकाल फिर से याद किये वो बीते लम्हे
एक बार फिर से क्या बिता वक्त लौट कर मिल सकता है..?
सोचें,तो आपको भी मेरी तरह शायद…
तस्वीर जीवित सी हो जाये गए वक्त की
आंखों में आंसू भर आये एक दर्द का अहसास हो
और फिर से समय की दौड़ में लग जाती हूँ
जीवन की जरूरतों को पूरा करने की होड़ में
आगे बढ़ने को खुद को भूल कर..
आज को जी भर जीने का मकसद तलाशती सी
शायद कोई मकसद अब भी मिल जाए…!
न जाने जीवन की शाम कब हो जाये जी लूँ खुद में
खुद को प्यार से गले लगाऊं खुद को देख पाऊं
पकड़ लूं सब खुशियां ताकि कुछ रह न जाये पीछे
ये जिजीविषा लिए बढ़ रही हूँ …
न जाने क्यों…??

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 295 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
ये सच है कि सबसे पहले लोग
ये सच है कि सबसे पहले लोग
Ajit Kumar "Karn"
तू इतनी चुप जो हो गई है,
तू इतनी चुप जो हो गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#मुक्तक
#मुक्तक
*प्रणय प्रभात*
Dr. Arun Kumar Shastri
Dr. Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मनमुटाव सीमित रहें,
मनमुटाव सीमित रहें,
sushil sarna
किसी भी वार्तालाप की यह अनिवार्यता है कि प्रयुक्त सभी शब्द स
किसी भी वार्तालाप की यह अनिवार्यता है कि प्रयुक्त सभी शब्द स
Rajiv Verma
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
लोग बंदर
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कविता
कविता
Shweta Soni
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
समुंदर में उठती और गिरती लहरें
समुंदर में उठती और गिरती लहरें
Chitra Bisht
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यारो हम तो आज भी
यारो हम तो आज भी
Sunil Maheshwari
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
*हमेशा जिंदगी की एक, सी कब चाल होती है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
నమో గణేశ
నమో గణేశ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा,
पूर्वार्थ
“विश्वास”
“विश्वास”
Neeraj kumar Soni
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
The enchanting whistle of the train.
The enchanting whistle of the train.
Manisha Manjari
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
जज्बात की बात -गजल रचना
जज्बात की बात -गजल रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
गुमनाम ज़िन्दगी
गुमनाम ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
4514.*पूर्णिका*
4514.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
शेखर सिंह
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
कभी कभी सच्चाई भी भ्रम सी लगती हैं
ruby kumari
"न्यायालय"
Dr. Kishan tandon kranti
राजभवनों में बने
राजभवनों में बने
Shivkumar Bilagrami
Loading...