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30 Jan 2017 · 1 min read

जिंदगी

?जिंदगी?

कल और आज में आज कल फसी है जिंदगी।।
भूल गया की मुझ पे कब हँसी है जिंदगी।।

अपने सारे अरमानो का खून कर दिया मैने।।
ये क्या कहेगा वो क्या कहेगा इसमे धसी है जिंदगी।।

खुद आपने आपको छुपाता रहा में।।
कहता रहा गैरो से हशीन है जिंदगी।।

मन को मारता रहा दर्द से कराहता है।।
उनको पता न हो चेहरे पे दिखाता रहा मौज में बसी है जिंदगी।।

मनु का मकसद नहीं ज़माने से लड़ना।।
इसलिए उलझनों में भी ख़ुशी ख़ुशी है जिंदगी।।
✍�मानक लाल मनु✍

Language: Hindi
243 Views
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