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19 Feb 2024 · 1 min read

जिंदगी रूठ गयी

जिंदगी रूठ गई जाने
कहाँ खो गई एक दायरे में
सिमट गई खोजता हूँ घनघोर आंधेरो में रास्ता जिंदगी की चाहतों का
वास्ता।।

जिंदगी के सब दरवाजे बंद
बंद दरवाजो दस्तक दे रहा हूँ
खत्म ना हो जाये अरमान आरजू
की ज़िंदगी सिर्फ रह जाए
जीने का नाम।।

हिम्मत जोश ताकत से
जिंदगी को चाहो की राहों
के बंद दरवाजे पर दस्तक
दे रहा हूँ।।

बंद दरवाजे की दस्तक
का शोर बहुत आवाज नही
सारी कोशिशें करता थक
हार जाता उदास निराश।।

दिल से आती आवाज
क्यो होता परेशान होगा
कोई इंसान तेरे लिये फरिश्ते
सामान।।

तेरी जिंदगी के मुकाम
मंजिल का हमसफ़र
दोस्त जिंदगी की राहों के
बंद दरवाजों पर तेरी दस्तक
को करेगा कामयाब।।

सुन जिंदगी के मुसाफिर
खुद के दिल के बंद दरवाजों
दस्तक दे तेरे ही दिल से गुजरती
तेरे जिंदगी की कस्ती।।

दिल के बंद दरवाजों पर
दी दस्तक खुल गए सच्चाई
ईमान इंसान के द्वार खुद के
दिल मे ही खुदा का हो गया
दीदार।।
जिंदगी की राहों का खत्म
हो गया अंधकार चाँदनी सी
धवल नव कोमल कली सी
जन्नत की परी सामने मंजिल
सी खड़ी।।
बंद दरवाजों पर मेरी दस्तक की
आवाज गायब मीठी सी आवाज
लबो पे मधुर मुस्कान जिंदगी की
मंजिल राह की शान ।।
खत्म हो गयी मायूसी
निराशा आशा विश्वाश की
जागी खूबसूरत जज्बे की
चिंगारी ज्वाला।।
खुल गए जिंदगी के सभी
रास्ते टूटे सारे अवरोध बेफिक्र
चल पड़ा जिंदगी की राहों में
अकेला कारंवा बनता गया
जिंदगी अरमंनो की तमाम मंजिले
जमी आसमान मुठ्ठी में बंद।।

Language: Hindi
167 Views
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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