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29 Aug 2017 · 1 min read

जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।

ग़ज़ल ।जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।

आंसुओं का दौर था वो पर रुलाया न गया ।
जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।

बेमज़ा होती रही सब उम्रभर कुर्बानियाँ ।
फ़र्क इतना सा रहा वादा निभाया न गया ।

कट गयी वो सुखभरी यादें सुहानी शाम बन ।
एक लम्हा गमभरा मुझसे बिताया न गया ।

रंजिशों मे प्यार की नदियां बहानी थी मुझे ।
पर गलतफहमी मे ख़ुद से सर झुकाया न गया ।

दोस्तों की वो वफ़ासत याद न आयी कभी ।
ख़ल रहे नासूर ज़ख़्मो को भुलाया न गया ।

हो गये हम बेवफ़ा बेवज़ह उनकी नज़र मे ।
इश्क़ की दहलीज़ पर जब दिल दुखाया न गया ।

गमभरी बौछार बनकर आह रकमिश दब गयी ।
गीत होठों से यक़ीनन गुनगुनाया न गया ।

Ram Kesh Mishra

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