जिंदगी तुमसे जीना सीखा
जज्बातों को रोक रोक कर
दिल पर काबू पाना सीखा,
छलके आंसू पोंछ पोंछकर
जाम गमों का पीना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।
पथरीली जलती राहों पर
जल जलकर भी चलना सीखा,
जीवन की ठोकर खा खाकर
गिर गिरकर जरा संभलना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।
नाउम्मीदी के इस आलम में
खुद से उम्मीद लगाना सीखा,
ख्वाबों की अर्थी को अपने
खुद ही कंधा देना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सीखा ।
बेहतर जीवन के चक्कर में
तनहा तनहा जीना सीखा,
उत्तम कुटुंब के लिए हमेशा
जितने बरस बिताना सीखा,
मैंने तुमसे जीना सिखा ।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि