“जिंदगी का सबक”
जब तक चल रहे हैं,
तभी तक दौड़ में है।
ये ज़िन्दगी का सबक है,
जहा रुके वाह दौड़ खत्म।
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हालातो का रोना सभी गाते हैं,
कोई अपनों के पास तो कोई गेरो के सामने।
लेकिन ये भूल जाते हैं,
की हालत ही तो है जो जिने का ढ़ग सीखते है।
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किया मेरा है किया तेरा है,
इस सोच में उम्र गवा देते हैं।
दौलत की चाह में,
वक्त गवा देते हैं।
लोगों का किया लिखूं,
दो पल ऎसो आराम की खातिर ज़िन्दगी भर का चैन गवा देते हैं।