Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 1 min read

जिंदगी का फलसफा

जिंदगी सिर्फ एक बार मिलती है,
ये एक झूठ है।
जिंदगी तो हमे रोजाना मिलती है,
मौत ही सिर्फ एक बार मिलती है!!

इन्सान की परेशानियों की सिर्फ दो ही वजह है,
वह तक़दीर से ज्यादा चाहता है
और वक्त से पहले चाहता है!

“जब तक रास्ते समझ में आते है,
तब तक ‘लौटने का वक़्त’ हो जाता है;
यही जिंदगी है!”

Language: Hindi
510 Views

You may also like these posts

पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बचपन
बचपन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नव निवेदन
नव निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
भोग पिपासा बढ़ गई,
भोग पिपासा बढ़ गई,
sushil sarna
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
जिंदगी इम्तिहानों का सफर
जिंदगी इम्तिहानों का सफर
Neeraj Agarwal
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
रख हौसले बुलंद तेरी भी उड़ान होगी,
Sunil Maheshwari
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कहानी-
कहानी- "हाजरा का बुर्क़ा ढीला है"
Dr Tabassum Jahan
सुनहरी उम्मीद
सुनहरी उम्मीद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
Ranjeet kumar patre
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मैं भी बचा न सकी ओट कर के हाथों की
मैं भी बचा न सकी ओट कर के हाथों की
Meenakshi Masoom
वीर अभिमन्यु– कविता।
वीर अभिमन्यु– कविता।
Abhishek Soni
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
Manisha Manjari
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
खुश मिजाज़ रहना सीख लो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
पूर्वार्थ
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
शेखर सिंह
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अन्नदाता कृषक
अन्नदाता कृषक
Rambali Mishra
मोहब्बत-ए-सितम
मोहब्बत-ए-सितम
Neeraj Mishra " नीर "
લેવી હોય તો લઇ લો
લેવી હોય તો લઇ લો
Iamalpu9492
धारा ३७० हटाकर कश्मीर से ,
धारा ३७० हटाकर कश्मीर से ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मां कात्यायनी
मां कात्यायनी
Mukesh Kumar Sonkar
3379⚘ *पूर्णिका* ⚘
3379⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
तेरी याद में हम रात भर रोते रहे
तेरी याद में हम रात भर रोते रहे
Jyoti Roshni
"बेशक़ मिले न दमड़ी।
*प्रणय*
क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.!
क्यों मूँछों पर ताव परिंदे.!
पंकज परिंदा
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
VINOD CHAUHAN
Loading...