जिंदगी और रेलगाड़ी
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/4b0dd9a671e8e28fd05845ed46b0b080_8e57241a735b18efbf484eb7a5b801d9_600.jpg)
जिंदगी समय काल
संग नित्य निरंतर
चलती सुख दुख की
अनुभूति।।
जिंदगी रेलगाड़ी
रिश्तो के डिब्बो का
साथ रिश्तो के डिब्बों में
भावनाओ का सवार ।।
अपनी रफ्तार से मंजिल
की तरफ बढ़ती कभी
खुशियों का प्लेटफार्म
उमंग उत्साह के स्टेशन
पर करती विश्राम।।
पल दो पल विश्राम
उपरांत नए स्टेशन की
रफ्तार ।।
कभी दुःख पीड़ा के प्लेटफॉर्म
पर ठहरती शांत लेकिन ठहरती
नही वहाँ फिर चल पड़ती।।
दौड़ती जिंदगी की राह
पर जोखिम बहुत घटना
दुर्घटना की आशंका से
नही इनकार।।
जिंदगी रेलगाड़ी की तरह
अपना सफर पूरा कर पहुँच
जाती यार्ड जहाँ से गंदगी
होती साफ जैसे कर्मानुसार
जिंदगी का इंजन और डिब्बो
का रिश्ता सफर।।