Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2024 · 1 min read

जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।

जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
इस तरह से आत्मा को साफ करती हूँ।
-लक्ष्मी सिंह

1 Like · 32 Views
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

*भारत नेपाल सम्बन्ध*
*भारत नेपाल सम्बन्ध*
Dushyant Kumar
घर-घर तिरंगा
घर-घर तिरंगा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
कल की तस्वीर है
कल की तस्वीर है
Mahetaru madhukar
मोहब्बत एक अरसे से जो मैंने तुमसे की
मोहब्बत एक अरसे से जो मैंने तुमसे की
Ankita Patel
अपमानित होकर भी आप, मुस्कुराते हुए सम्मानित करते हैं;आप सचमु
अपमानित होकर भी आप, मुस्कुराते हुए सम्मानित करते हैं;आप सचमु
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
दोहा
दोहा
sushil sarna
फिर से वो रफ्फूचक्कर हो जाएगा
फिर से वो रफ्फूचक्कर हो जाएगा
Dr. Kishan Karigar
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
तुम क्या जानो किस दौर से गुज़र रहा हूँ - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
रिश्तों का असंतुलन
रिश्तों का असंतुलन
manorath maharaj
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
जिंदगी तुमसे जीना सीखा
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
Ranjeet kumar patre
लाल डब्बों से जुड़े जज्बात
लाल डब्बों से जुड़े जज्बात
Akash RC Sharma
2536.पूर्णिका
2536.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
क्या होता जो इस दुनिया में गम न होता
Girija Arora
बसन्त ऋतु
बसन्त ऋतु
Durgesh Bhatt
" बेड़ियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
आज  का  युग  बेईमान  है,
आज का युग बेईमान है,
Ajit Kumar "Karn"
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
ग़ज़ल(उनकी नज़रों से ख़ुद को बचाना पड़ा)
डॉक्टर रागिनी
🙅तय करे सरकार🙅
🙅तय करे सरकार🙅
*प्रणय*
*मैं शायर बदनाम*
*मैं शायर बदनाम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो
Johnny Ahmed 'क़ैस'
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
प्रेम भरे कभी खत लिखते थे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
प्यार चाहा था पा लिया मैंने।
प्यार चाहा था पा लिया मैंने।
सत्य कुमार प्रेमी
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
मुस्की दे प्रेमानुकरण कर लेता हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
पूर्वार्थ
छिपा गई जिंदगी
छिपा गई जिंदगी
अनिल कुमार निश्छल
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
Loading...