#रुबाइयाँ
#रुबाइयाँ
ज़श्न कामयाबी का यारों , अफ़साने-इंतज़ार होता है।
सही वक़्त पर तरुवर जैसे , निज फल हेतु तैयार होता है।।
बेचैनी से बचकर रहना , ध्यान कर्म पर तुम सदा लगाओ;
दृष्टिकोण हो सुंदर प्रीतम , क़दम-कदम लक्ष्य पार होता है।।
ताक़ते-सुख़न ही पाती है , ख़ल्क़ मिले अधिकारों को।
वरना हक नशीब नहीं यहाँ , बिना ज्ञान लाचारों को।।
दंभ-भरा वैरी हुआ बशर , अपनों को नहीं समझता;
ग़ैरों को कहाँ समझ पाये , लाँघ भेद दीवारों को।।
दाद-ख़्वाह बन जाओ अब तो , लुटने मत दो निज अरमान।
बलशाली हो झुकना छोड़ो , होकर ख़ुद से ही अनजान।।
मौन बैठकर नहीं इनायत , मिले हुआ एहसान एक;
रज़ा तुम्हारी तुमसे हासिल , और करेंगे क्यों बलिदान?
ख़ुद पर यकीन करना सीखो , बने रहो मत तुम नादान।
यही शक्ति है यही गर्व है , पास करे यही इम्तिहान।।
सुनो महापुरुषों की गाथा , सुप्त-शक्तियाँ जाएँ जाग;
जामवंत ने शक्ति जगाई , लंका उड़ पहुँचे हनुमान।।
ताक़ते-सुख़न-बोलने की शक्ति , ख़ल्क़-संसार , बशर-इंसान
दाद-ख़्वाह – इंसाफ़ माँगने वाला
#आर.एस.’प्रीतम’
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