जान फकीरी प्रेम की, कह गए दास कबीर
अंतर्मन में ज्ञान जगाने, साखी कही कबीर
राम रहीम रखे मन भीतर, गाई हृदय की पीर
ज्ञान चक्षु खोलें अंतस के, सांचा एक फकीर
एक व़म्ह एक आत्मा, पियत एक सब नीर
खरा खरा बे दे गए, साखी में पैगाम
ढोंग धतूरे का किया, कबिरा काम तमाम
क्या हिंदू क्या तुर्क को, मारी गहरी चोट
आडंबर के नाम पर, कही पंथ की खोट
नीति धर्म और पंथ पर, राय रखी बेबाक
तर्क सहित साखी कही, पंडित मुल्ला हुए अवाक
कर्म और कर्तव्य था, जिन्हें सदा प्रधान
सिमरन घट भीतर किया, जहां बसे भगवान
साखी ज्ञान प्रकाश है, सांचे प्रेम का गान
दिल से पढ़ो कबीर को, खुद को लोगे जान
कर से कर्म में रत रहो, जपो हृदय हरि नाम
बाकी रब पर छोड़िए, होगा सब कल्याण
प्रेम से दुनिया में रहो, ये साहिब की जागीर
जान फकीरी प्रेम की, कह गए दास कबीर